राईटर डायरेक्टर कुमार नीरज…. एक ऐसा नाम जो अपने कठिन परिश्रम ओर अपने जुनून की बदौलत आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैंl
राईटर डायरेक्टर कुमार नीरज…. एक ऐसा नाम जो अपने कठिन परिश्रम ओर अपने जुनून की बदौलत आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं… बिहार के वैशाली जिले में जन्मे कुमार नीरज पर भगवान की कृपा कुछ ऐसी रही कि इन्होंने बचपन से ही अपने मंजिल की ओर बढ़ना शुरू कर दिया था…या फिर यूं कह सकते हैं कि बचपन से ही कुमार नीरज को स्ट्रगल करना पड़ा था…
महज 2 साल की उम्र में कुमार नीरज ने अपने पिता को खो दिया था… छोटे से उम्र में ही अपने पिता का साया सर से खोने वाले कुमार नीरज और उनकी फैमली ग़रीबी को दूर करने के लिए अपना जिला छोड़ परिवार के साथ गाजियाबाद के साहिबाबाद में आ गयी… कुमार नीरज की पढ़ाई लिखाई सब गाजियाबाद से हुई,बचपन से क्रिकेट में तेज़ बोलिंग करने के कारण बॉलिंग के लिए अंडर सिक्सटीन में गाजियाबाद से up के लिए सलेक्शन भी हुआ पर यहां भी गरीबी ने साथ नहीं छोड़ा और ₹65000 कमेटी को ना देने की वजह से उनको क्रिकेट से बाहर होना पड़ा,
अपने दोस्त जो शादियों में कैमरा से शूटिंग करता था,उसके साथ शादियों में कैमरे कंधे पर लेकर सदियों की वीडियों रिकॉर्डिंग करने लगे,ओर कुमार नीरज को येही से कैमरा ओर फ़िल्म के तरफ झुकाव बढ़ता गया, कहानी वो पहले से लिखते थे,उस टाइम माया पूरी फिल्म मैगजीन में सब डायरेक्टर का ऑफिस का अड्रेस हुआ करता था, कुमार नीरज अपनी कहानी महेश भट्ट को लिख के भेजा करते थे,अब वो बम्बई जाना चाहते थे जो अब मुम्बई हो गई है,पर घरवाले साथ देने को रेडी नहीं थे, ऊपर से गरीबी मुंबई जाने का सपना पूरा होता दिख नही रहा था उसी टाइम एक क्रिकेट मैच में कुछ पैसे जीतने वाले कुमार नीरज बिना कुछ किसी को बोले दिल्ली से1999 में मुंबई का ट्रेन पकड़ लिए और अपना सपना पूरा करने मुंबई आ गए पर अभी तो खेल शुरू हुआ था कुमार नीरज का मुंबई में ना कोई रहने का ठिकाना था ना कोई खाना खिलाने वाला कुछ दिन पार्क में सोने के बाद जुहू के हरे कृष्णा मंदिर में जाकर खाना खाते समय एक पंडित की नजर उन पर पड़ी पंडित को समझते देर नहीं लगा लड़का भागा हुआ है….
पंडित ने कुमार नीरज को साइड में लाकर सख्ती से पुछा तो 1 दिन से भुखे कुमार नीरज ने रोते हुए अपनी सारी कहानी पंडित को बता दिया,पंडित ने घर बापस लौटने को पैसे दिए कुमार नीरज को पर कुमार नीरज को फ़िल्म लाइन में ही काम करना था,ये उनका जुनून था ओर गाजियाबाद लौटना नामंजूर था… कुमार नीरज ने हाथ पैर पकड़ के पंडित से बोला… आप सिर्फ मुझे रहने के लिए जगह दे दो और मुझे शूटिंग में काम दिलवा दो.. हरे कृष्णा मंदिर के सामने बहुत सारे घरों में शूटिंग होती थी,पंडित को कुमार नीरज के जिद के आगे झुकना पड़ा और वो उनके घर पे रहने लगे,कुछ दिन बाद पंडित ने उनको एक फ़िल्म में रखवा दिया और यही से शुरू हुआ कुमार नीरज का असली सफर….इसके बाद कुमार नीरज ने फिर पीछे मुड़ के नही देखा,और अपनी पहचान बनाकर u tv जॉइन कर ली… कुछ साल बाद उनका एक्सीडेंट हो गया और उन्होंने zee नेक्स्ट chanel join कर लिया, जो जल्दी बंद हो गया,फिर कुछ साल बाद वो बोहरा ब्रोस प्रोडक्सन जॉइन किया और वही से अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस शुरु करने की सोची,कुछ दिन बाद उनको पता चला के उनके भाई को केंसर हो गया है ओर उनके फैमली पे दुखो का पहाड़ टूट पड़ा,भाई को मुम्बई में इलाज कराकर उनको बिहार छोड़ने गए,कुछ फैमली प्रॉब्लम से वो कुछ साल वही रुक गए,ओर उनकी सादी खुश्बू सिंह से हो गयी,,
फिर कुछ महीना गुजर ही था के उनके बड़े भाई को अचानक ब्रेनहेमरेज होगया,कुमार इससे ऊपर ही पाते तभी उनका केंसर वाले भाई भी चल बसे, उनके जाने के कुछ महीने बाद उनकी माँ भी गुजर गई 2 साल में 3 लाश घर मे देख चुके कुमार नीरज को अंदर से तोड़ दिया,पर कुमार नीरज ने खुद को संभाला और धीरे धीरे सब ठीक करते हुए मुम्बई जाने की तैयारी करने लगे तभी एक प्रोड्यूसर जो एक भोजपुरी फ़िल्म बनाने चाहता था कुमार नीरज के साथ मिलकर फ़िल्म शुरू कर दिया सारी यूनिट मुम्बई से आगई ओर प्रोड्यूसर गायब हो गया क्योंकि उसको खुद हीरो बनना था और उसके भतीजे को विलेन जो कुमार नीरज को मंजूर नही था…
उसके अचानक भाग जाने से कुमार नीरज को दिमाग ही हिल चुका था वो भगवान पे अपना गुस्सा निकल रहे थे कि तभी भगवान ने उनकी सुन ली और उनके ससुर राजकिशोर सिंह का कॉल आ गया जो उस टाइम अपनी मंझली बेटी का कही रिश्ता देख के आये थे उन्होंने ये खबर देने के लिए नीरज को फोन किया था… कुमार नीरज की उदासी बाली आवाज सुन राजकिशोर सिंह को समझते देर नही लगी,कुमार नीरज ने प्रोड्यूसर भागजाने की बात राजकिशोर सिंह को बताई,
कुछ देर बाद राजकिशोर सिंह सीधे अपने बैंक जाके 5 लाख कैश निकल कर शूट पर पहुंच गए और बोले शूट मत रोको ,उसी टाइम शूटिंग देखने कुमार नीरज की बड़ी बहन मुन्नी सिंह भी आई हुई थी,फिर राजकिशोर सिंह से सारी बात सुनने के बाद वो अपने छोटे भाई को मदद करने को मन बना लिया ओर उस फिल्म की प्रोड्यूसर बन गईं,6 लाख रुपये वो उसी टाइम कुमार नीरज के ac में ट्रांसफर करा दिया ओर इस तरह राजकिशोर सिंह और मुन्नी सिंह के सहयोग से परेशानी को दूर कर कुमार नीरज की पहली भोजपुरी फ़िल्म बनी,,
उसके बाद कुमार नीरज कई शॉर्ट फिल्म ओर ad बना चुके हैं,और अब उनके लिखे बिहार के बाहुबली पर आधारित फ़िल्म गैंग्स ऑफ बिहार हिंदी फिल्म डायरेक्ट करने जा रहे है,उसमे स्टार कास्ट है मुकेश तिवारी,गुरलीन चोपड़ा,राजवीर सिंह ,नाजनीन पटनी,अंजलि अग्रवाल, सुप्रिया पांडेय,मुस्कान वर्मा,जय प्रकाश शुक्ला,रतन राठौर,श्रीकांत प्रत्युष, राजीव झा,संजीव सकून,राकेश गिरि, मृत्युंजय,औऱ नवनीत हैं…
गैंग्स ऑफ बिहार जो लॉक डाउन होने के बजह से शूटिंग में देर हो गई है,कुमार नीरज और भी एक नई हिंदी फिल्म का प्रोजेक्ट करने वाले हैं,,उससे में भी ये बड़े स्टार्स के साथ काम करेंगे,पूछने पर कुमार नीरज ने बताया के अगर हौसला ओर जुनून हो तो कोई भी काम किया जा सकता है,अपने 20 साल के कड़े जूनूनी मेहनत को वो आगे भी जारी रखगें ,,अब देखते है गैंग्स ऑफ बिहार पर्दे पे कब आती है.
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